सुषेण आदि सभी बंदरों ने सुग्रीव की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं और फिर बंदरों के राजा की आज्ञा लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़े, जो वरुण देवता के संरक्षण में थी।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे द्विचत्वारिंश: सर्ग:॥ ४२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें बयालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४२॥