श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 42: सुग्रीव का पश्चिम दिशा के स्थानों का परिचय देते हुए सुषेण आदि वानरों को वहाँ भेजना  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  4.42.47 
 
 
तेषु सर्वेषु दुर्गेषु सरस्सु च सरित्सु च।
रावण: सह वैदेह्या मार्गितव्यस्ततस्तत:॥ ४७॥
 
 
अनुवाद
 
  सब दुर्गम जगहों, तालाबों और नदियों में इधर-उधर सीता सहित रावण की तलाश करनी चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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