योजनानि चतु:षष्टिर्वराहो नाम पर्वत:।
सुवर्णशृङ्ग: सुमहानगाधे वरुणालये॥ ३०॥
अनुवाद
वराह नाम का पर्वत समुद्र की अगाध जलराशि में स्थित है, जिसका विस्तार चौंसठ योजन तक फैला हुआ है। इसकी चोटियाँ स्वर्ण से बनी हुई हैं, जो इसे और भी भव्य और आकर्षक बनाती हैं।