तत्र वैदूर्यवर्णाभो वज्रसंस्थानसंस्थित:।
नानाद्रुमलताकीर्णो वज्रो नाम महागिरि:॥ २५॥
अनुवाद
वज्रनामा महागिरिः पारियात्र पर्वत के समीप ही समुद्र में सुशोभित हो रहा है। वह वज्रमणि की भाँति नील वर्ण का है। नाना प्रकार के वृक्ष और लताएँ उस पर उगी हैं। कठोरता में वह वज्रमणि की भाँति ही कठोर और सुदृढ़ है।