वानर-यूथपति लोग उन पर्वतीय जलप्रपातों के आस-पास जहाँ-जहाँ जंगल थे वहाँ अपनी-अपनी सेनाओं को ठीक से सुख-पूर्वक बसा कर तत्पश्चात् समस्त सेनाओं के जानकार सुग्रीव उन सबका पूरा-पूरा ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ हो सके।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे एकोनचत्वारिंश: सर्ग:॥ ३९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें उनतालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३९॥