श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 39: श्रीरामचन्द्रजी का सुग्रीव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना तथा विभिन्न वानरयूथपतियों का अपनी सेनाओं के साथ  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  4.39.42 
 
 
अपरे वानरश्रेष्ठा: संगम्य च यथोचितम्।
सुग्रीवेण समागम्य स्थिता: प्राञ्जलयस्तदा॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  बहुत से श्रेष्ठ वानर उनके पास गए और विधिवत मिलकर लौट आए और कुछ वानर सुग्रीव से मिलने के बाद उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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