श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 39: श्रीरामचन्द्रजी का सुग्रीव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना तथा विभिन्न वानरयूथपतियों का अपनी सेनाओं के साथ  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  4.39.24 
 
 
दरीमुखश्च बलवान् यूथपोऽभ्याययौ तदा।
वृत: कोटिसहस्रेण सुग्रीवं समवस्थित:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  तब वानरों के शक्तिशाली नेता, दरीमुख भी वहाँ पहुँचे। वह सुग्रीव की सेवा में दस लाख वानरों के साथ उपस्थित हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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