श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 39: श्रीरामचन्द्रजी का सुग्रीव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना तथा विभिन्न वानरयूथपतियों का अपनी सेनाओं के साथ  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  4.39.20 
 
 
ऋक्षाणां भीमवेगानां धूम्र: शत्रुनिबर्हण:।
वृत: कोटिसहस्राभ्यां द्वाभ्यां समभिवर्तत॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  धूम्र नाम का बीस अरब रीछों का भयंकर वेगशाली सेनापति ध्वज लेकर, शत्रुओं का संहार करने के लिए आया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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