श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  4.37.35 
 
 
ते गृहीत्वौषधी: सर्वा: फलमूलं च वानरा:।
तं प्रतिग्राहयामासुर्वचनं चेदमब्रुवन्॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  सभी औषधियों और फलों-मूलों को लेकर वे वानर सुग्रीव की सेवा में समर्पित करते हुए इस प्रकार बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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