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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 24
श्लोक
4.37.24
अङ्गारकसमानानां भीमानां भीमकर्मणाम्।
विन्ध्याद् वानरकोटीनां सहस्राण्यपतन् द्रुतम्॥ २४॥
अनुवाद
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विन्ध्याचल पर्वत से मंगल ग्रह के समान लाल रंग वाले भीषण पराक्रम और भयावह रूप वाले वानरों की दस अरब की सेना तेजी से किष्किन्धा में उतरी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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