श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  4.37.23 
 
 
फलमूलेन जीवन्तो हिमवन्तमुपाश्रिता:।
तेषां कोटिसहस्राणां सहस्रं समवर्तत॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  हिमालय पर्वत पर फल और जड़ों को खाकर जीवनयापन करने वाले वानरों का एक विशाल समूह वहाँ आ पहुंचा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.