वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
»
श्लोक 22
श्लोक
4.37.22
कैलासशिखरेभ्यश्च सिंहकेसरवर्चसाम्।
तत: कोटिसहस्राणि वानराणां समागमन्॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
कैलास पर्वत की चोटियों से सिंह के अयाल की तरह सफेद कान्ति वाले दस लाख वानर आये।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.