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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 20
श्लोक
4.37.20
ततस्तेऽञ्जनसंकाशा गिरेस्तस्मान्महाबला:।
तिस्र: कोटॺ: प्लवंगानां निर्ययुर्यत्र राघव:॥ २०॥
अनुवाद
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तदनंतर कज्जल गिरि से काजल के सामान काले और महाबली तीन करोड़ वानर उस स्थान के लिये निकल गए जहाँ श्री रघुनाथ जी विराजमान थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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