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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 19
श्लोक
4.37.19
मृत्युकालोपमस्याज्ञां राजराजस्य वानरा:।
सुग्रीवस्याययु: श्रुत्वा सुग्रीवभयशङ्किता:॥ १९॥
अनुवाद
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अपने सम्राट सुग्रीव की मृत्यु एवं काल के समान भयानक दण्ड देने वाली आज्ञा सुनकर सभी वानर उनके भय से काँप उठे और तुरंत ही किष्किन्धा की ओर प्रस्थान कर गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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