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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 16
श्लोक
4.37.16
तस्य वानरराजस्य श्रुत्वा वायुसुतो वच:।
दिक्षु सर्वासु विक्रान्तान् प्रेषयामास वानरान्॥ १६॥
अनुवाद
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वायुदेव के पुत्र, हनुमान जी ने वानरराज सुग्रीव के वचन सुनने के बाद, सभी दिशाओं में बड़ी संख्या में पराक्रमी वानरों को भेजा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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