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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 14
श्लोक
4.37.14
मेघपर्वतसंकाशाश्छादयन्त इवाम्बरम्।
घोररूपा: कपिश्रेष्ठा यान्तु मच्छासनादित:॥ १४॥
अनुवाद
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मेघ और पर्वतों के समान विशाल शरीर वाले, आकाश को आच्छादित करने वाले भयावह रूप वाले श्रेष्ठ वानर मेरे आदेशानुसार यहाँ से यात्रा करें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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