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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 37: सुग्रीव का हनुमान् जी को वानरसेना के संग्रह के लिये दोबारा दूत भेजने की आज्ञा देना, समस्त वानरों का किष्किन्धा के लिये प्रस्थान
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श्लोक 13
श्लोक
4.37.13
शतान्यथ सहस्राणि कोटॺश्च मम शासनात्।
प्रयान्तु कपिसिंहानां निदेशे मम ये स्थिता:॥ १३॥
अनुवाद
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जो वानर और सिंह शेर मेरी आज्ञा का पालन करते हैं, उन सैकड़ों, हज़ारों और करोड़ों वानर और सिंह मेरी आज्ञा से वहाँ जाएँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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