श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 36: सुग्रीव का अपनी लघुता तथा श्रीराम की महत्ता बताते हए लक्ष्मण से क्षमा माँगना और लक्ष्मण का उनकी प्रशंसा करके उन्हें अपने साथ चलने के लिये कहना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  4.36.20 
 
 
यच्च शोकाभिभूतस्य श्रुत्वा रामस्य भाषितम्।
मया त्वं परुषाण्युक्तस्तत् क्षमस्व सखे मम॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  सखे! श्रीराम के दुख भरे शब्दों को सुनकर मेरे मुँह से जो कुछ भी तुम्हारे विषय में कठोर बातें निकल गईं, उन्हें क्षमा कर देना।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे षट‍‍्त्रिंश: सर्ग:॥ ३६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें छत्तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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