श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 36: सुग्रीव का अपनी लघुता तथा श्रीराम की महत्ता बताते हए लक्ष्मण से क्षमा माँगना और लक्ष्मण का उनकी प्रशंसा करके उन्हें अपने साथ चलने के लिये कहना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  4.36.19 
 
 
किं तु शीघ्रमितो वीर निष्क्रम त्वं मया सह।
सान्त्वयस्व वयस्यं च भार्याहरणदु:खितम्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  जल्दी करो वीर, तुम मेरे साथ शीघ्र ही इस नगर से बाहर निकल जाओ। तुम्हारे मित्र अपनी पत्नी का अपहरण होने से अत्यंत दुःखी हैं। चलो चलकर उन्हें ढाढ़स दो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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