श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 36: सुग्रीव का अपनी लघुता तथा श्रीराम की महत्ता बताते हए लक्ष्मण से क्षमा माँगना और लक्ष्मण का उनकी प्रशंसा करके उन्हें अपने साथ चलने के लिये कहना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.36.16 
 
 
धर्मज्ञस्य कृतज्ञस्य संग्रामेष्वनिवर्तिन:।
उपपन्नं च युक्तं च सुग्रीव तव भाषितम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मज्ञ व कृतज्ञ सुग्रीव! तुम युद्ध में पीठ नहीं दिखाते, तुम्हारे इस वक्तव्य में दम है और यही युक्ति व नीति के अनुसार है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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