श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 36: सुग्रीव का अपनी लघुता तथा श्रीराम की महत्ता बताते हए लक्ष्मण से क्षमा माँगना और लक्ष्मण का उनकी प्रशंसा करके उन्हें अपने साथ चलने के लिये कहना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  4.36.15 
 
 
सहायेन च सुग्रीव त्वया राम: प्रतापवान्।
वधिष्यति रणे शत्रूनचरान्नात्र संशय:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  सुग्रीव! तुम्हें सहायक के रूप में पाकर प्रतापी श्रीराम रणभूमि में अपने शत्रुओं का शीघ्र ही वध कर डालेंगे, इसमें संदेह नहीं है। इस प्रकार, तुम श्रीराम के सहयोगी होकर उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाओगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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