लक्ष्मण! आहार, निद्रा और मैथुन आदि देह के गुण हैं, जो पशुओं में भी समान रूप से पाए जाते हैं। इन गुणों में आसक्त होकर सुग्रीव पहले से ही बहुत समय तक दुःख भोग कर थक चुके थे और उदास थे। अब भगवान श्रीराम की कृपा से उन्हें जो काम-भोग प्राप्त हुए हैं, उनसे भी उनकी अभी तक तृप्ति नहीं हुई है (इसीलिए उनसे कुछ असावधानी हो गई)। इसलिए परम कृपालु श्रीरघुनाथजी को यहाँ उनका अपराध क्षमा करना चाहिए।