पहले इन्होंने बहुत दुःख उठाया है। अब यह उत्तम सुख प्राप्त करके इसमें ऐसे लीन हो गए कि उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि उन्हें यह सुख कब प्राप्त हुआ था। यह स्थिति ठीक उसी प्रकार की है जैसे विश्वामित्र मुनि मेनका में आसक्त होने के कारण समय का ध्यान ही खो बैठे थे।