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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 35: तारा का लक्ष्मण को युक्तियुक्त वचनों द्वारा शान्त करना
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श्लोक 5
श्लोक
4.35.5
रामप्रसादात् कीर्तिं च कपिराज्यं च शाश्वतम्।
प्राप्तवानिह सुग्रीवो रुमां मां च परंतप॥ ५॥
अनुवाद
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राम की कृपा से ही सुग्रीव को वानरों का शाश्वत राज्य, यश, रुमा और मुझे भी प्राप्त हुआ है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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