श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 35: तारा का लक्ष्मण को युक्तियुक्त वचनों द्वारा शान्त करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  4.35.11 
 
 
सत्त्वयुक्ता हि पुरुषास्त्वद्विधा: पुरुषर्षभ।
अविमृश्य न रोषस्य सहसा यान्ति वश्यताम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषवर! तुम्हारे जैसे शांत स्वभाव वाले सत्त्वगुण-संपन्न पुरुष आवेश में आकर बिना सोचे-समझे रौद्र रुप नहीं धारण करते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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