श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 35: तारा का लक्ष्मण को युक्तियुक्त वचनों द्वारा शान्त करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  4.35.1 
 
 
तथा ब्रूवाणं सौमित्रिं प्रदीप्तमिव तेजसा।
अब्रवील्लक्ष्मणं तारा ताराधिपनिभानना॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  ताराधिपति चंद्रमा के समान मुख वाली तारा ने तेज से प्रदीप्त लक्ष्मण से कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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