यस्तु राजा स्थितोऽधर्मे मित्राणामुपकारिणाम्।
मिथ्या प्रतिज्ञां कुरुते को नृशंसतरस्तत:॥ ८॥
अनुवाद
‘अधर्म में तत्पर रहने वाला वह राजा जो परोपकारी मित्रों के सामने निकट भविष्य का वचन देकर उसे झूठा करता है, उससे बढ़कर पृथ्वी पर कौन अधिक क्रूर हो सकता है?।’