श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 34: सुग्रीव का लक्ष्मण के पास जाना और लक्ष्मण का उन्हें फटकारना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  4.34.10 
 
 
पूर्वं कृतार्थो मित्राणां न तत्प्रतिकरोति य:।
कृतघ्न: सर्वभूतानां स वध्य: प्लवगेश्वर॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘वानरराज! जो पहले मित्रोंके द्वारा अपना कार्य सिद्ध करके बदलेमें उन मित्रोंका कोई उपकार नहीं करता है, वह कृतघ्न एवं सब प्राणियोंके लिये वध्य है॥ १०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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