स तस्या वचनं श्रुत्वा सान्त्वपूर्वमशङ्कित:।
भूय: प्रणयदृष्टार्थं लक्ष्मणो वाक्यमब्रवीत्॥ ४२॥
अनुवाद
तारा के इस वचन में ढाढ़स देने वाली बातें थीं। उसमें बहुत ही प्यार से भरे दिल की भावना प्रकट की गई थी। उसे सुनकर लक्ष्मण के मन की आशंका दूर हो गई। वे कहने लगे—।