स सप्त कक्ष्या धर्मात्मा यानासनसमावृता:।
ददर्श सुमहद्गुप्तं ददर्शान्त:पुरं महत्॥ १९॥
अनुवाद
धर्मात्मा लक्ष्मण ने सवारियों और विविध आसनों से सुशोभित उस भवन की सात ड्योढ़ियाँ पार कीं और बहुत ही गुप्त और विशाल अन्तःपुर को देखा। इस प्रकार उन्होंने अन्तःपुर की सात परिधिओं को देखा।