श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 33: लक्ष्मण का सुग्रीव के महल में क्रोधपूर्वक धनुष को टंकारना, सुग्रीव का तारा को उन्हें शान्त करने के लिये भेजना तथा तारा का समझा-बुझाकर उन्हें अन्तःपुर में ले आना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  4.33.19 
 
 
स सप्त कक्ष्या धर्मात्मा यानासनसमावृता:।
ददर्श सुमहद‍्गुप्तं ददर्शान्त:पुरं महत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मात्मा लक्ष्मण ने सवारियों और विविध आसनों से सुशोभित उस भवन की सात ड्योढ़ियाँ पार कीं और बहुत ही गुप्त और विशाल अन्तःपुर को देखा। इस प्रकार उन्होंने अन्तःपुर की सात परिधिओं को देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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