श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 32: हनुमान जी का चिन्तित हुए सुग्रीव को समझाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  4.32.19 
 
 
अभिक्रुद्ध: समर्थो हि चापमुद्यम्य राघव:।
सदेवासुरगन्धर्वं वशे स्थापयितुं जगत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवान श्रीराम यदि क्रोध में आकर धनुष को उठा लेते हैं, तो वे देवताओं, असुरों और गन्धर्वों समेत पूरा संसार को अपने वश में कर लेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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