वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 32: हनुमान जी का चिन्तित हुए सुग्रीव को समझाना
»
श्लोक 18
श्लोक
4.32.18
नियुक्तैर्मन्त्रिभिर्वाच्यो ह्यवश्यं पार्थिवो हितम्।
इत एव भयं त्यक्त्वा ब्रवीम्यवधृतं वच:॥ १८॥
अनुवाद
play_arrowpause
नियुक्त मंत्रियो का कर्तव्य है कि वे राजा को उसके हित की बात अवश्य बताएँ। इसलिए मैं भय को त्यागकर अपना निश्चित विचार बता रहा हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.