श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 32: हनुमान जी का चिन्तित हुए सुग्रीव को समझाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.32.16 
 
 
आर्तस्य हृतदारस्य परुषं पुरुषान्तरात्।
वचनं मर्षणीयं ते राघवस्य महात्मन:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  राघव श्रीरामचन्द्रजी की पत्नी का अपहरण हो गया है, जिसके कारण वे बहुत दुखी हैं। इसलिए यदि लक्ष्मण के मुख से उनका कोई कठोर वचन भी सुनना पड़े तो आपको चुपचाप सह लेना चाहिए॥ १६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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