श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 30: शरद्-ऋतु का वर्णन तथा श्रीराम का लक्ष्मण को सुग्रीव के पास जाने का आदेश देना  »  श्लोक 61
 
 
श्लोक  4.30.61 
 
 
इयं सा प्रथमा यात्रा पार्थिवानां नृपात्मज।
न च पश्यामि सुग्रीवमुद्योगं च तथाविधम्॥ ६१॥
 
 
अनुवाद
 
  यह राजाओं की पहली विजय-यात्रा है, हे राजा के पुत्र! किंतु, मैं सुग्रीव को यहाँ उपस्थित नहीं देखता और न ही मैं कोई ऐसा प्रयास देखता हूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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