वन के भीतर बहुत से असन नामक वृक्ष खड़े हैं, जिनकी डालियों के अग्रभाग फूलों के अधिक भार से झुक गये हैं। उन पर मनभावन सुगंध छा रही है। वे सभी वृक्ष सुवर्ण के समान चमकीले हैं और मन को प्रसन्नता प्रदान करते हैं। ऐसा लगता है जैसे उनके द्वारा वनों का अंत प्रकाशमान हो रहा हो।