श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 30: शरद्-ऋतु का वर्णन तथा श्रीराम का लक्ष्मण को सुग्रीव के पास जाने का आदेश देना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  4.30.29 
 
 
सम्प्रत्यनेकाश्रयचित्रशोभा
लक्ष्मी: शरत्कालगुणोपपन्ना।
सूर्याग्रहस्तप्रतिबोधितेषु
पद्माकरेष्वभ्यधिकं विभाति॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  इस समय में शरत् ऋतु के गुणों के कारण लक्ष्मी जी अनेक स्थानों में विराजमान होकर अद्भुत शोभा को प्राप्त करती हैं, परंतु उदयकाल की सूर्य की किरणों से प्रफुल्लित कमल के जलाशयों में उनकी शोभा और भी अधिक हो जाती है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.