श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 30: शरद्-ऋतु का वर्णन तथा श्रीराम का लक्ष्मण को सुग्रीव के पास जाने का आदेश देना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  4.30.27 
 
 
अभिवृष्टा महामेघैर्निर्मलाश्चित्रसानव:।
अनुलिप्ता इवाभान्ति गिरयश्चन्द्ररश्मिभि:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  महान और घने बादलों द्वारा बरसाए गए जल से ये पर्वत बहुत साफ हो गए हैं और इनके ऊपर चांदनी की झलक साफ दिखाई दे रही है। ये पर्वत इतने चमक रहे हैं मानो इन पर चांदनी से लेप किया गया हो।॥ २७॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.