सौम्य! जिनके भीतर जल विद्यमान था तथा जिनमें कुटज और अर्जुन के फूलों की सुगन्ध भरी हुई थी, वे अत्यन्त वेगशाली झंझावात उमड़-घुमड़कर सम्पूर्ण दिशाओं में विचरण करके अब शान्त हो गये हैं। जल से भरे हुए वे अत्यंत तेज और प्रबल झंझावात थे जिनमें कुटज और अर्जुन के फूलों की सुगंध भरी हुई थी। वे चारों दिशाओं में घूमते हुए आकाश में उमड़-घुमड़ रहे थे। अब वे शांत हो गए हैं।