इमा: स्फीतगुणा वर्षा: सुग्रीव: सुखमश्नुते।
विजितारि: सदारश्च राज्ये महति च स्थित:॥ ५७॥
अनुवाद
वर्षा ऋतु के अनेक गुणों का वर्णन किया गया है। इस समय सुग्रीव ने अपने शत्रु का वध करके विशाल वानर साम्राज्य की स्थापना की है और अपनी पत्नी के साथ सुख भोग रहा है।