श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 28: श्रीराम के द्वारा वर्षा-ऋतु का वर्णन  »  श्लोक 57
 
 
श्लोक  4.28.57 
 
 
इमा: स्फीतगुणा वर्षा: सुग्रीव: सुखमश्नुते।
विजितारि: सदारश्च राज्ये महति च स्थित:॥ ५७॥
 
 
अनुवाद
 
  वर्षा ऋतु के अनेक गुणों का वर्णन किया गया है। इस समय सुग्रीव ने अपने शत्रु का वध करके विशाल वानर साम्राज्य की स्थापना की है और अपनी पत्नी के साथ सुख भोग रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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