मेघा: समुद्भूतसमुद्रनादा
महाजलौघैर्गगनावलम्बा:।
नदीस्तटाकानि सरांसि वापी-
र्महीं च कृत्स्नामपवाहयन्ति॥ ४४॥
अनुवाद
मेघ आकाश में गर्जना कर रहे हैं, उनके गर्जन की ध्वनि समुद्र के शोर को भी दबा रही है। उनके जल की विशाल धाराएँ नदियों, तालाबों, झीलों, कुओं और पूरी पृथ्वी को भर रही हैं।