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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 28: श्रीराम के द्वारा वर्षा-ऋतु का वर्णन
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श्लोक 29
श्लोक
4.28.29
धारानिपातैरभिहन्यमाना:
कदम्बशाखासु विलम्बमाना:।
क्षणार्जितं पुष्परसावगाढं
शनैर्मदं षट्चरणास्त्यजन्ति॥ २९॥
अनुवाद
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कदम्ब की डालियों पर झूलते हुए भ्रमर, गिरते हुए जल के कारण आहत हो रहे हैं और धीरे-धीरे पुष्पों के रस से प्राप्त अत्यधिक मद को त्याग रहे हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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