श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 28: श्रीराम के द्वारा वर्षा-ऋतु का वर्णन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  4.28.26 
 
 
जाता वनान्ता: शिखिसुप्रनृत्ता
जाता: कदम्बा: सकदम्बशाखा:।
जाता वृषा गोषु समानकामा
जाता मही सस्यवनाभिरामा॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  वन के चारों ओर मोरों का सुंदर नृत्य हो रहा है। कदम्ब के पेड़ फूलों और शाखाओं से लदे हुए हैं। बैल गायों के प्रति वैसा ही प्रेम दिखा रहे हैं जैसा गायें दिखाती हैं। पृथ्वी हरी-भरी फसलों और हरे-भरे जंगलों से बहुत ही मनमोहक लग रही है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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