श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 28: श्रीराम के द्वारा वर्षा-ऋतु का वर्णन  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.28.16 
 
 
सम्प्रस्थिता मानसवासलुब्धा:
प्रियान्विता: सम्प्रति चक्रवाका:।
अभीक्ष्णवर्षोदकविक्षतेषु
यानानि मार्गेषु न सम्पतन्ति॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  मानसरोवर में निवास पाने के इच्छुक हंस वहाँ के लिए प्रस्थान कर गए हैं। इस समय चकवे और चकवियाँ मिल रहे हैं। लगातार हो रही बारिश के पानी से रास्ते टूट-फूट गए हैं, इसलिए उन पर रथ आदि नहीं चल रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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