श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 26: हनुमान जी का सुग्रीव के अभिषेक के लिये श्रीरामचन्द्रजी से किष्किन्धा में पधारने की प्रार्थना, तत्पश्चात् सुग्रीव और अङ्गद का अभिषेक  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  4.26.40 
 
 
रामं चैव महात्मानं लक्ष्मणं च पुन: पुन:।
प्रीताश्च तुष्टुवु: सर्वे तादृशे तत्र वर्तिनि॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार अभिषेक हो जाने पर किष्किन्धा में सुग्रीव और अंगद विराजमान हुए। इस दृश्य को देखकर सभी वानर अत्यंत प्रसन्न हुए और महात्मा श्रीराम और लक्ष्मण की बार-बार स्तुति करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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