वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 26: हनुमान जी का सुग्रीव के अभिषेक के लिये श्रीरामचन्द्रजी से किष्किन्धा में पधारने की प्रार्थना, तत्पश्चात् सुग्रीव और अङ्गद का अभिषेक
»
श्लोक 37
श्लोक
4.26.37
अभिषिक्ते तु सुग्रीवे सर्वे वानरपुङ्गवा:।
प्रचुक्रुशुर्महात्मानो हृष्टा: शतसहस्रश:॥ ३७॥
अनुवाद
play_arrowpause
सुग्रीव के अभिषेक के पश्चात वहाँ मौजूद सभी महान वानरों के श्रेष्ठ जन हर्ष से भरकर लाखों की संख्या में जय-जयकार करने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.