श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 26: हनुमान जी का सुग्रीव के अभिषेक के लिये श्रीरामचन्द्रजी से किष्किन्धा में पधारने की प्रार्थना, तत्पश्चात् सुग्रीव और अङ्गद का अभिषेक  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  4.26.37 
 
 
अभिषिक्ते तु सुग्रीवे सर्वे वानरपुङ्गवा:।
प्रचुक्रुशुर्महात्मानो हृष्टा: शतसहस्रश:॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  सुग्रीव के अभिषेक के पश्चात वहाँ मौजूद सभी महान वानरों के श्रेष्ठ जन हर्ष से भरकर लाखों की संख्या में जय-जयकार करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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