श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 24: सुग्रीव का शोकमग्न होकर श्रीराम से प्राणत्याग के लिये आज्ञा माँगना, तारा का श्रीराम से अपने वध के लिये प्रार्थना करना और श्रीराम का उसे समझाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  4.24.36 
 
 
त्वं वेत्थ तावद् वनिताविहीन:
प्राप्नोति दु:खं पुरुष: कुमार:।
तत् त्वं प्रजानञ्जहि मां न वाली
दु:खं ममादर्शनजं भजेत॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  युवा पुरुष को बिना स्त्री के क्या कष्ट उठाने पड़ते हैं, यह तुम अच्छी तरह से जानते हो। इस सच्चाई को समझते हुए मेरा वध कर दो, ताकि वाली को मेरे विरह का कष्ट न सहना पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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