त्वं वेत्थ तावद् वनिताविहीन:
प्राप्नोति दु:खं पुरुष: कुमार:।
तत् त्वं प्रजानञ्जहि मां न वाली
दु:खं ममादर्शनजं भजेत॥ ३६॥
अनुवाद
युवा पुरुष को बिना स्त्री के क्या कष्ट उठाने पड़ते हैं, यह तुम अच्छी तरह से जानते हो। इस सच्चाई को समझते हुए मेरा वध कर दो, ताकि वाली को मेरे विरह का कष्ट न सहना पड़े।