श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 22: वाली का सुग्रीव और अङ्गद से अपने मन की बात कहकर प्राणों को त्याग देना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  4.22.25 
 
 
ततो विचुक्रुशुस्तत्र वानरा हतयूथपा:।
परिदेवयमानास्ते सर्वे प्लवगसत्तमा:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  तब अपने यूथपति की मृत्यु हो जाने से श्रेष्ठ वानरों का समूह जोर-जोर से चिल्लाया और विलाप करने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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