श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 20: तारा का विलाप  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  4.20.14 
 
 
कालो नि:संशयो नूनं जीवितान्तकरस्तव।
बलाद् येनावपन्नोऽसि सुग्रीवस्यावशो वशम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  निःसंदेह, आज आपके जीवन का अंत करने वाला समय आ ही गया था, जिसने आपको, जो किसी के अधीन नहीं आते थे, बलपूर्वक सुग्रीव के अधीन कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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