मनुष्य पाप करके यदि राजा के दिये हुए दण्ड को भोग लेते हैं, तो वे शुद्ध होकर पुण्यात्मा साधुपुरुषों की भाँति स्वर्गलोक में जाते हैं। जब चोर आदि पापी राजा के सामने उपस्थित होते हैं, तो राजा उन्हें दंड दे सकता है या दया करके छोड़ सकता है। इससे चोर आदि पापी व्यक्ति अपने पाप से मुक्त हो जाता है। लेकिन यदि राजा पापी को उचित दंड नहीं देता है, तो उसे स्वयं उसके पाप का फल भोगना पड़ता है।