श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 17: वाली का श्रीरामचन्द्रजी को फटकारना  »  श्लोक 52
 
 
श्लोक  4.17.52 
 
 
युक्तं यत्प्राप्नुयाद् राज्यं सुग्रीव: स्वर्गते मयि।
अयुक्तं यदधर्मेण त्वयाहं निहतो रणे॥ ५२॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरे स्वर्गवास हो जाने पर सुग्रीव को राज्य मिलना तो उचित ही है, परन्तु अनुचित यह हुआ कि आपने मुझे युद्ध में अधर्म पूर्वक मार डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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